ज़िन्दगी कब क्या खेल खेल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता ठीक वैसे ही प्रकृति कब अपना रौद्र रूप धारण करले कोई भरोसा नहीं होता। कुछ ऐसा ही वाकया हिमाचल प्रदेश के रुमेहड़ गांव से सामने आया है जहाँ अगर भीमसेन नहीं होते तो कई परिवार उजड सकते थे। लेकिन आखिर किसे पता था की 22 लोगो की जान बचाने वाले भीमसेन खुद अपनी और अपने परिवार की रक्षा नहीं कर पाएंगे।
ग्राम पंचायत के उपप्रधान पप्पू राम ने बताया की सोमवार को रात से बारिश काफी तेज़ हो रही थी। वहां के निवासी अमर सिंह जिनका घर पहाड़ी से नीचे बसा हुआ था जहाँ नाले के पानी को निकालने के लिए २२ लोग लगे हुए थे। उससे 70 मीटर दूर पहाड़ी पर भीमसेन का घर था जहाँ से उसने देख लिया था की पहाड़ से मलबा आ रहा है जिसे देखकर उसने वही से ज़ोर ज़ोर से आवाज़ लगाना शुरू कर दिया और वहां से उन लोगो को भाग जाने को कहा। भीमसेन की आवाज़ सुनते ही सब लोगो ने वहां से भागना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अगले 10 सेकंड में सारा मलबा पहाड़ी से नीचे आ गया और सारे घरो को अपने बहाव में लेता चला गया।
उन 22 लोगो ने उस वक़्त तो वहां से दौड़ लगा कर जैसे तैसे सड़क पर आकर अपनी जान बचायी और सड़क पर एक घर के अंदर जाकर छुप गए। लेकिन थोड़ी ही देर में वो घर भी बहने लगा तो लोगो ने वहां से भी भागना शुरू कर दिया और अपनी जान बचायी। लोगो का कहना था की उन लोगो की जान भगवान के रूप में आये भीमसेन ने बचायी और भगवान की कृपा से ही वो लोग बच पाए। अगर हम नाली का पानी निकलने में न खड़े होते और भीमसेन सही वक़्त पर आकर हमे चेतावनी नहीं देता तो आज हम सब लोग ज़िंदा नहीं होते।
लेकिन अब इसे भगवान की लीला कहे या प्रकृति का कहर जिसमे इतने लोगो की जान बचाने वाला भीमसेन जब अपनी और अपने परिवार की जान बचाने के लिए घर में घुसा तो उसका घर मलबे में समाहित हो गया और भीमसेन वही अपने परिवार के साथ हमेशा के लिए दफ़न हो गया। वह के निवासी चश्मदीद शंकर के कहे अनुसार उसने 10 बजे ही मलबा आते देखा और लोगो को सीटी बजाकर अलर्ट करने का प्रयास करने लगा लेकिन अचानक देखते ही देखते सबकुछ मलबे में आकर तबाह हो गया। वो मंज़र जिसने भी देखा उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी। लोग रोते-बिलखते रहे। लोगो का कहना है की जो लोग भी अपने घरो से बाहर थे वो तो बच गए लेकिन जो भी लोग अपने अपने घरो में थे वे सभी मलबे की चपेट में आ गए।