इस मैच में पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवर में 149 रन 4 विकेट के नुकसान पर बनाए थे। पाकिस्तान टीम की कप्तान बिसमाह मरूफ ने 68 रन की नाबाद पारी खेलते हुए यह स्कोर बनाया। इस मैच में ऋचा घोष जिन्होंने 20 गेंदों में 31 रनों की नाबाद पारी खेली उनके योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है। चौथे विकेट के लिए ऋचा घोष और जेमिमा ने 33 गेंदों में 58 रन की नाबाद साझेदारी बनाई है।
जेमिमा का जन्म मुंबई में 5 सितंबर 2000 को हुआ था लेकिन क्रिकेट उन्हें विरासत में ही मिला है। जेमिमा मल्टी टैलेंटेड लड़की है और क्रिकेट के साथ ही वह हॉकी भी खेल चुकी है। जेमिमा के पिता एवं अपने समय के बेहतरीन क्रिकेट प्लेयर रहे हैं। जेमिमा को भारतीय टीम प्यार से जेमी बुलाती है और इन्हें गिटार बजाने का बहुत शौक है। जेमिमा के पिता ही उन्हें ट्रेनिंग देकर यहां तक लेकर आए हैं और उनके दो भाइयों एनोच और एली को भी वही ट्रेनिंग दे रहे हैं।
जेमिमा के लिए कल का मैच बहुत खास था क्योंकि उन्हें पिछले वर्ष न्यूजीलैंड में हुए वनडे मैच में खेलने का मौका नहीं मिला था। वर्ष 2021 जेमिमा के लिए किसी झटके से कम नहीं था क्योंकि इस वर्ष वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। इतनी परेशानियों के बाद भी जेमिमा कभी मायूस नहीं हुई और लगातार कड़ी मेहनत करती रहे। आप सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि अपनी तैयारी के दौरान वह 14 साल के बच्चों के साथ मुंबई के मैदानों में क्रिकेट खेलती थी।
मीडिया से बात करते हुए जेमिमा ने बताया कि जब वह टीम का हिस्सा नहीं बनी तो उन्होंने अपने कोच प्रशांत शेट्टी के साथ मिलकर एक प्लान बनाया। मुझे हफ्ते में दो मैच खेलने होते थे और बाकी समय प्रैक्टिस करनी होती थी और इसी दौरान मैंने खुद को चुनौतीपूर्ण स्थितियों में डाला। मैंने प्रैक्टिस के दौरान मुंबई के आजाद मैदान में अंडर 14 और अंडर 19 ग्रुप के लड़कों के साथ मैच खेली थी। जेमिमा बताती है कि उन्होंने सपाट पिच की जगह टर्निंग ट्रैक पर खेलना शुरू किया। इस तरह के ट्रैक पर सुबह के समय ओस होती है जिससे गेंद स्विंग होती है लेकिन जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता है गेंद घूमने लगती है।
यही वह परिस्थितियां है जिससे से मेरे खेल में निखार आया है। जेमिमा कहती है कि यही वजह रही कि वर्ल्ड कप के बाद जब मेरा टीम में चयन हुआ तो मैंने औसतन 30 से 40 रन बनाए हैं। पाकिस्तान के ऊपर जीत के बाद जेमिमा कहती है कि मुझे नहीं पता कि मैं क्या कहूं लेकिन मुझे यह विश्वास था कि अगर मैं आखरी बॉल तक खेली तो हम यह मैच जीतकर ही जाएंगे। मेरे बल्ले से काफी समय से रन नहीं निकल रहे थे लेकिन यह पारी मेरे लिए बहुत खास है। इस पारी का श्रेय मैं अपने माता पिता को और स्टेडियम के लोगों को समर्पित करती हूं।