भारत के इन मंदिरों में सेब, केले, मिठाई नहीं बल्कि लगता है नूडल्स-चॉप्‍सी का भोग, जानिए क्या है वजह

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हमारा देश ईश्वर की मान्यताओं और ईश्वरीय चमत्कार प्रधान देश रहा है। अक्सर लोग ईश्वर से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं और भोग के रूप में मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं। भारत में ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर है जहां कि अपनी ही अलग मान्यता है।

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मंदिरों में प्रार्थना के साथ साथ लोग अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाते हैं अलग-अलग मंदिरों में कई तरह का प्रसाद चढ़ाते हैं लेकिन क्या आपने सुना है कि कहीं चाइनीस परंपरा का पालन करते हुए देवी को चाइनीस नूडल्स या चॉप्सी भोग के रूप में चढ़ाया गया हो?

Chinese Kali Temple 1

ऐसी ही मान्यता के साथ कोलकाता का प्रसिद्ध चीनी काली माता मंदिर है जो अपने भक्तों की प्रार्थना को पूरा करती है। लोग यहां सालों से चाइनीस फूड जैसे नूडल्स और चॉप्सी प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। माता को अर्पित करते हैं जो अपने आप में ही एक अद्भुत प्रथा को दर्शाता है। कोलकाता के टंगरा क्षेत्र की जहां देवी को नूडल्स चाइनीस नूडल्स या चॉप्सी का भोग लगाया जाता है यह क्षेत्र चाइना टाउन के नाम से जाना जाता है।

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सालों पहले जब भारत में चीनी समुदाय, कोलकाता के पूर्वी क्षेत्र में भ्रमण के लिए आने लगे, चीनी समुदाय को कोलकाता इतना पसंद आया कि वह वहीं निवास करने लगे कोलकाता के रहन-सहन, लोग, भाषा इतने प्रभावित हुए कि चीनी समुदाय ने वहीं वास करने का ठान लिया।

ऐतिहासिक काली मंदिर को चीनी समुदाय और हिंदू बंगालियों द्वारा बनाया गया था। कई सालों से यहां पर देवी की पूजा आराधना हिंदुओं द्वारा ही की जाती है, लेकिन अब यह मंदिर हिंदुओं के साथ- साथ चीनी समुदाय का भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है क्योंकि इसके पीछे की कहानी का रहस्य चीनी समुदाय के लोगों से जुड़ा हुआ है यहां के लोगों द्वारा यह मान्यता है की काली माता की आराधना करने से वह ना सिर्फ हिंदुओं का बल्कि किसी भी जाति धर्म के समुदाय की प्रार्थना सुनती है।

Chinese Kali Temple 2

दरअसल इसके पीछे एक अद्भुत कहानी है जो यहां के स्थानीय लोगों द्वारा बताई जाती हैं। कई सालों पहले यहां एक चीनी समुदाय का बच्चा गंभीर रूप से बीमार हो गया था बच्चे का इलाज करने में डॉक्टर भी असमर्थ हो गए थे। माता पिता ने हर उम्मीद छोड़ दी थी कोई भी डॉक्टर बच्चे का इलाज नहीं कर पा रहा था। चीनी माता पिता को यह बात परेशान करने लगी की वाह उनके बच्चे को कहीं खो ना दें।

फिर अचानक काली माता मंदिर के पुजारी ने चीनी माता पिता को काली माता के मंदिर में दर्शन कराने और माता से बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी और चीनी माता पिता तुरंत ही बच्चे को लेकर काली माता मंदिर में पहुंचे और बच्चे को पेड़ के नीचे जहां माता विराजमान है वहां देवी मां के चरणों में रख दिया था।

कुछ समय पश्चात बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार होने लगा और कुछ दिनों पश्चात ही बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया चीनी माता-पिता द्वारा देवी माता को नूडल्स का भोग लगाया गया। जब से ही कोलकाता का यह प्रसिद्ध चीनी काली मंदिर श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। इस घटना के बाद से ही लोग अक्सर यहां अपनी मन्नत लेकर आते हैं और प्रसाद के रूप में चाइनीस नूडल्स का भोग लगाते हैं।

बंगाली हिंदू और चीनी समुदाय द्वारा यहां पर चाइनीस नूडल्स का भोग लगाया जाता है और यह परंपरा का आज भी पालन किया जा रहा है और अब काली माता मंदिर या कहें चाइनीस काली माता यहां पर लगाए जाने वाले भोग के कारण विश्व प्रसिद्ध हो गया है। इतना ही नहीं यहां जिन अगरबत्ती का प्रयोग किया जाता है वह भी चीन की होती है यहां के स्थानीय निवासियों द्वारा कहा जाता है यहां पर लगाई जाने वाली अगरबत्ती की खुशबू दूसरे मंदिरों से एकदम विपरीत है जो यहां पर नकारात्मक शक्तियों को दूर रखने में मदद करती है और चीनी परंपरा के अनुसार ही यहां पर देवी को प्रणाम किया।

विश्व प्रसिद्ध चाइनीस काली माता मंदिर अपनी एक अलग पहचान लिए हुए हैं जो हिंदू समुदाय और चीनी पद्धति हो का अद्भुत समावेश है जो शताब्दि से प्रसाद या भोग के कारण आस्था का विषय बना हुआ है भारत देश में अनेक ऐसी दुर्लभ प्रचलित कहानियां है जो भारत का विस्तृत वर्णन करने के लिए प्रसिद्ध है उनमें से एक चाइनीस काली माता मंदिर है जिसे जिसे चाइनीस कालीबाड़ी के नाम से भी जाना जाता है।


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