दांतों में खराबी ने करा दिया रिजेक्ट, पढ़े ISRO ने दुनिया के लिए कैसे चुने 12 पायलट

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गगनयान (Gaganyaan Mission) भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है। जिसे इसरो ने 2021 तक प्रक्षेपित करने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की घोषणा की थी। इसरो के गगनयान मिशन की खातिर 12 टेस्ट पायलट चुने गए हैं। एयरफोर्स के इंस्टिट्यूट ऑफ़ एयरोस्पेस मशीन में 3 महीने तक 60 पायलट्स की प्रोफाइल खंगाली गई। एक्सपर्ट ने पाया कि अधिकतर पायलट के दांत की परेशानी थी एक एस्ट्रोनॉट खराब होना ठीक नहीं होता।

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रूसी विशेषज्ञों की मदद से 60 क्षेत्रों से चुने गए पायलटों को पिछले 45 दिनों में रूस के स्टार सिटी के यूरी गगारिन कास्मोनाॅट ट्रेनिंग सेंटर में अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में सामान्य प्रशिक्षण लिया है। इस सप्ताह इंडियन सोसायटी ऑफ एयरोस्पेस मेडिकल बिरादरी के वार्षिक सम्मेलन में कहा है जुलाई-अगस्त में स्क्रीनिंग के पहले स्तर पर उम्मीदवारों में ज्यादातर शारीरिक और चिकित्सकीय स्थितियों में से एक दांत की समस्या थी।

IAM ने IAF की ओर से भेजे गए 24 टेस्ट पायलेट्स को चुना था। हालांकि रशियन एक्सपर्ट की टीम ने डेंटल प्रॉब्लम वाले कैंडिडेट्स को बाहर कर दिया। एयर कमोडोर अनुपम अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस में कहां,

“वे दांतो को लेकर सजग थे हमको जो चीजें ठीक लगी थी, उन्हें वैसी नहीं लगी। शायद ऐसा इसलिए हो क्योंकि उन्हें दांत के दर्द की वजह से मिशन रोकना पड़ा था। एक फ्लाइट सर्जन जिसके पास एयरोस्पेस मेडिसिन में पीएचडी हो और एक खास कॉस्मोनॉट जो562 दिन अंतरिक्ष में रहा हो, हम उन्हें बेहतर जानते हैं”।

1984 में रूसी सोयूज T-11 मिशन के लिए कॉस्मोनॉट्स शर्मा और रवीश मल्होत्रा के चयन के बाद IIM तीन दशक से भी अधिक समय के बाद एक बार फिर उम्मीदवारों का चयन शुरू किया है। चयनित उम्मीदवारों को गगनयान मिशन भेजा जाएगा। IIM टीम ने IAF की ओर से भेजे गए 24 पायलटों के समूह का चुनाव किया था। लेकिन रूसी टीम ने दांत की समस्या को देखते हुए कई पायलटों को अनफिट घोषित कर दिया। एस्ट्रोनॉट्स के दांत सही होने चाहिए क्योंकि स्पेसफ्लाइट के दौरान एक्सीलरेशन और वाइब्रेशन बेहद मजबूत होता है। अगर दांतों की फीलिंग में जरा भी गड़बड़ हुई तो निकल सकती है। अगर कैविटीज है तो एटमाॅस्फेयर की वजह से दांत में दर्द हो सकता है। 1978 के रूस के सेल्यूट 6 मिशन के कमांडर यूरी रोमानेनको 2 हफ्ते तक दांत का दर्द झेलना पड़ा था।

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IIMके मुख्य चयनकर्ता अधिकारी एम एस नटराज ने कहा कि हमने 16 डोजियर तैयार किये और एक विमानन विशेषज्ञ के नेतृत्व वाली रूसी टीम के सामने पेश किया। जब हम उनके साथ बैठे तो हमें पता चला कि हमने क्या गलती की है। 16 में से मात्र 7 पायलट ही इस मिशन के लिए फिट बैठ सके। ज्यादातर पायलट को टीम ने बाहर कर दिया था। उन्हें दांत की समस्याएं थी जो अंतरिक्ष उड़ान में समस्या पैदा कर सकती है।


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