मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में इन दिनों महांकाल मंदिर के आसपास निर्माण कार्य चल रहा है। वैसे तो उज्जैन को महांकाल की नगरी कहा जाता है और सावन के महीने में तो यहाँ का माहौल ही कुछ और होता है। हर साल सावन महीने में यहाँ बाबा महांकाल की शाही सवारी निकली जाती है जहाँ हज़ारो की संख्या में लोग बाबा के दर्शन के लिए दूर दूर से आते है। लेकिन उज्जैन में बाबा महांकाल हो और कोई चमत्कार न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता, एक ऐसा ही चमत्कार उज्जैन में देखने को मिला है।
उज्जैन महाकाल मंदिर में चले रहे निर्माण कार्य के दौरान हो रही खुदाई में एक विशाल चमत्कारी और अद्भुत शिवलिंग निकला है। इस पर मंदिर प्रशासन ने खुदाई स्थल को सुरक्षित कर पुरातत्व विभाग को सूचना दे दी है। जिसके बाद पुरातत्व विभाग द्वारा आगे की कार्रवाई की जाएगी फ़िलहाल मंदिर निर्माण के कार्य को वही इस उम्मीद में रोक दिया गया है की वहां से और भी कई प्राचीन चीज़े खुदाई के दौरान मिलने की संभावनाएं जताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार बारिश के चलते दो दिनों से खुदाई का काम बंद था, लगातार पानी गिरने से मिट्टी धंस गई जिससे शिवलिंग दिखाई देने लगा। महाकालेश्वर मंदिर विस्तारीकरण योजनांतर्गत मंदिर के आगे वाले भाग में खुदाई के दौरान 11वीं शताब्दी के मंदिर के पुरावशेष निकल रहे हैं। इसमें मंदिर का प्लेटफार्म, गणेश प्रतिमा, शुंग व कुषाण काल में निर्मित मिट्टी के बर्तन के साथ ही ब्लैक बेसाल्ट से बना विशाल परिक्रमा पथ तक निकला है।
यहां पर पुरातत्ववेत्ताओं ने एक पूरे मंदिर निकलने की बात कही है, आशंका जताई जा रही है कि उक्त मन्दिर को उस समय मुस्लिम आक्रांता इल्तुमिश ने ध्वस्त किया था। जिसके बाद अब एक शिवलिंग निकला है, जोकि बहुत ही अदभुत है। पुरातत्व विभाग के शोध अधिकारी के अनुसार शिवलिंग को सबसे पहले मजदूरों ने देखा और हमें इसकी सूचना दी। जब मिट्टी हटवाई तो वहां पर विशाल जलाधारी के अंदर करीब 2 फीट का शिवलिंग दिखाई दिया। शिवलिंग की जलाधारी उंचाई में इतनी बड़ी है कि उसके अंदर शिवलिंग पूरा समाहित है। प्रथम दृष्टया शिवलिंग 9 वी शताब्दी का दिख रहा है हालांकि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग से ये विषय अलग है उसकी जलाधारी उत्तर मुखी है।