चित्रकूट में लगा गधों का बाजार सलमान, शाहरुख की लगी लाखों में बोली तो दीपिका को देखने के लिए लोग हुए बेकरार

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दीपावली के अवसर पर देशभर में कई स्थान पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी चित्रकूट के मंदाकनी घाट पर लगने वाला 5 दिवसीय गधों का बाजार इन दिनों काफी ज्यादा चर्चाओं का विषय बना हुआ है। बता दें कि हर साल यहां पर हजारों की संख्या में लोग गधा बच्चे को लेकर पहुंचते हैं जहां बड़ी बड़ी बोली लगाकर इन्हें खरीदा जाता है। लेकिन इस बाजार में सबसे ज्यादा जो चर्चाओं का विषय रहता वह है बॉलीवुड कलाकारों के नाम पर बिकने वाले यहां गधे बता दें कि इस बार भी बाजार में सलमान शाहरुख से लेकर दीपिका पादुकोण तक के गधों को देखा गया है।

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Donkey Fair in Chitrakoot

खबरों की माने तो इस बाजार की शुरूआत मुगल शासक औरंगजेब द्वारा को गई थी। जिसके बाद से आज तक इस बाजार मेले का आयोजन निरंतर किया जा रहा है हालांकि कोरोना की वजह से बाजार नहीं लग पाया था। लेकिन इस बार केस कम होने की वजह से भारी मात्रा में गधों का बाजार एक बार की लगा है जिसमें बॉलीवुड कलाकारों को जादू की बोली जोरों पर चल रही है इतना ही नहीं इस नाम के गधों को खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। इस मेले की खासियत यह है कि यहां दूर-दूर से गधे खच्चर बिकने के लिए आते हैं।

Donkey Fair in Chitrakoot 1

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मुगल शासक औरंगजेब द्वारा घोड़ों की कमी की वजह से गधों की अपनी सेना में भर्ती के लिए इस आयोजन को चालू किया था जहां उन्हें अफगानिस्तान से अच्छी किस्म के खच्चर प्राप्त हुए थे जिसके बाद से यहां मेला निरंतर चलता आ रहा है। वहीं मेला के संयोजक मुन्ना मिश्रा द्वारा इस मेले के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है कि इस मेले में यूं तो सभी प्रकार के गधे बिकते हैं लेकिन बॉलीवुड कलाकारों के नाम पर बिकने वाले गधों की डिमांड कुछ ज्यादा ही रहती है। इस बार बाजार में सलमान खान की डेढ़ लाख तो शाहरुख खान की 70 हजार बोली लगी।

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इनके अलावा भी और भी कई बॉलीवुड कलाकारों के नाम के गधे इस बाजार में मौजूद रहे जैसे रितिक रोशन रणवीर कपूर लेकिन इनकी बोली इतनी ज्यादा नहीं लग पाई वहीं दीपिका नाम की भी यहां पर काफी ज्यादा चर्चा रही है बताया जा रहा है कि हर साल लगने वाले इस मेले में करोड़ों रुपए का व्यापार होता है इस बार भी यही अंदाजा लगाया जा रहा है। मुगल शासक औरंगजेब द्वारा चालू किए गए इस मेले में उनके द्वारा भी खतरों की बोली लगाई गई थी और उसके बाद उन्हें सैन्य बल में शामिल किया गया था और उनकी यह प्रथा आज भी चल रही है।


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