कहते हैं जिसने अपना लक्ष्य तय कर लिया वो करके भी दिखाता हैं। फिर चाहे उसे खुले आसमान में बैठकर पड़ना पड़े या अंधेरे में… कुछ कर पाने का जुनून एक इंसान को कायमाबी की और खींच लाता हैं। एक सफल इंसान वहीं हो सकता जिसमें जुनून के साथ लगन हो।
आपने कहावत तो सुनी होगी जब कूड़े के दिन फिर जाते तो इंसान के क्यों नहीं, कहने का मतलब है कि गंदगी से भरी जमीन जहां लोग कचरा फेंकते थे आज वहां एक आलीशान बंगला खड़ा हो जाता है। उसी तरह एक गरीब इंसान कब बादशाह बन जाए इसका कोई अंदाजा नही लगा सकता हैं। इंसान में अगर कुछ कर पाने की इच्छा हो तो वो एक दिन सफलता के कदम चुम ही लेता हैं।
आपने कई बार देखा होगा कि पीएम, सीएम सहित कई बड़े-बड़े नेता के आने की खबर सुनते ही पुलिस प्रशासन से लेकर हर कोई उनकी तैयारी में लग जाता हैं। करोड़ों लोग उनके आगे पीछे घूमते हैं। इतना ही नहीं जिस रोड़ से गुजर रहे होते है वहां सीएम के साथ जितने भी वाहन है उसके अलावा एक वाहन तक नजर नहीं आता, लेकिन जब वहीं रास्ते से कोई गरीब गुजर रहा तो उसे पूछना तो दूर भगा दिया जाता हैं। एक गरीब व्यक्ति जिसके पास रहने, खाने और कपड़े पहनने की व्यवस्था नही होती है। लोग उनका साथ देने के बजाए मज़ाक उड़ाते हैं। लेकिन जब वहीं गरीब बच्चा एक कामयाब इंसान बन जाये तो जनता उसके आगे पीछे घूमते नजर आती हैं।
जी हां अगर इंसान जीवन में कुछ करना चाहे तो उसके आगे कितनी भी मुसीबत क्यों ना आ जाये वो उससे कैसे भी जीत सकता है। इस समय इस वाक्य को चरितार्थ किया है। खुशबू कुमारी ने यहां छोटे से गांव बतौली की रहने वाली है। इनके दो बच्चे भी है। जहानाबाद जिले के हुलासगंज प्रखंड में ये गांव आता है इसी में रहकर खुशबू ने अपने जीवन का इतिहास लिख दिया है। खुशबू ने हाल ही में बीपीएससी की एक्जाम पास कर अपने जिले और गांव के साथ ही अपने परिवार का नाम रोशन किया है।
बता दें कि इस दौड़ भाग भरी जिंदगी में जहां महिलाओं को अपने घरों के काम में ही समय नहीं मिलता है, लेकिन खुशबू ने अपने परिवार की देखभाल करते हुए इस सफलता को अपने नाम किया है। इन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 340वीं रैंक लाकर ना सिर्फ अपना बल्कि अपने परिवार के साथ ही जिले और गांव का नाम रोशन किया है। खूशबू की माने तो उनके पति सेना में रह चुके है उनके रिटायर होने के बाद और अपने 2 बच्चों की देखभाल के बाद उन्होंने इस परीक्षा में सफलता के झंडे गाड़ दिए है। खूशबू को श्रम एवं प्रवर्तन अधिकारी के तौर पर चयन किया है। खुशबू ने अपनी सफलता के पीछे अपने परिजनों और दिवंगत ससुर को श्रेय दिया है।
दरअसल सेना से रिटायर होने के उनके पति ने ही उनकी पढ़ाई में पैसे लगाए और उन्हें आगे बढ़ने के लिए खुब प्रेरित किया। इसी के चलते उन्हें आज ये सफलता मिली है। बताया जाता है कि पति को जो पेंशन मिलती थी उसी में से पढ़ाई में लगाते थे और घर का खर्च भी चलाते थे। वहीं इन दोनों की शादी 2007 में हुई थी। वहीं इनके बच्चे भी पढ़ाई कर रहे है। इनकी बच्ची पांचवी क्लास में पढ़ती है।
बहरहाल इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में देखा जाये तो महिलाएं अपने परिवार को संभालने में ही उलझ जाती है। कई महिलाएं तो ऐसी होती है जिन्हें अपने पारिवारिक जीवन से ही समय नहीं मिल पाता है तो कुछ महिलाएं सफलता के झंडे गाड़ते हुए मिसाल पेश कर जाती है, लेकिन ये बात भी है मेहनत और लगन से किए काम में कभी असफलता नहीं मिलती है।