आज जब मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ रामभक्त और हनुमान भक्त बन गए हैं और छत्तीसगढ़ में कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रामायण से जुड़े पर्यटन स्थलों को विकसित करने की बातें कर रहे हैं, हमें विनायक दामोदर सावरकर का एक बयान याद करने की ज़रूरत है। सावरकर ने तब कहा था कि उन्होंने कॉन्ग्रेसवादी हिंदुओं को न सिर्फ शरीर पर बल्कि कोट पर जनेऊ पहन कर संघटनी सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए बाध्य कर दिया।
सावरकर ने यह बात तत्कालीन राजनीति के संदर्भ में कही थी लेकिन ये आज भी प्रभावी है। महाराष्ट्र के सावरकर स्मारक के अध्यक्ष और वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने ‘विश्वास न्यूज़’ से बात करते हुए उनके इस बयान की पुष्टि की। उन्होंने जुलाई 10, 1943 को अविभाजित भारत के सिंध प्रान्त में मुस्लिम लीग के साथ हिन्दू महासभा के गठबंधन को लेकर कॉन्ग्रेसी दुष्प्रचार को जवाब देते हुए ये बातें कहीं थीं।
उनके इस बयान का जिक्र 10 वॉल्यूम वाले ‘समग्र सावरकर’ के वॉल्यूम-8 (ऐतिहासिक निवेदन) में पृष्ठ संख्या 485-89 पर भी है। यहाँ सावरकर लिखते हैं:
कुछ ही दिनों पहले कमलनाथ ने राम मंदिर के भव्य निर्माण का स्वागत किया था। उन्होंने शुक्रवार (जुलाई 31, 2020) के दिन एक वीडियो संदेश जारी किया था। उसमें उन्होंने कहा कि देशवासियों को लम्बे समय से इसकी अपेक्षा और आकांक्षा थी। मंदिर निर्माण हर भारतीय की सहमति से हो रहा है और यह केवल भारत में ही संभव है। इस वीडियो में कमलनाथ के पीछे भगवान हनुमान की तस्वीर भी नजर आ रही थी।
कमलनाथ के पीछे-पीछे आज यानी 4 अगस्त को मनीष तिवारी और फिर प्रियंका गाँधी ने भी राम मंदिर को लेकर ट्वीट किया। बताना जरूरी इसलिए है क्योंकि यही वो पार्टी है, जो अब तक भगवान राम के अस्तित्व को ही नकार रही थी। इसी पार्टी के वकील सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के खिलाफ दलील दे रहे थे।
हाल ही में कमलनाथ ने भोपाल में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ कराने का आह्वान किया। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने कॉन्ग्रेस के इस कदम को दिखावा बताया। भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना था कि “कॉन्ग्रेस ने हमेशा राम के अस्तित्व को खारिज है।