100 साल पुरानी काशी की अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति आएगी भारत, चोरी कर ले जायी गयी थी कनाडा

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित काशी नगरी एक पौराणिक नगरी है। ऐसा माना जाता है कि काशी नगरी संसार के उन नगरों में से है जिन की स्थापना सबसे पहले हुई थी। भारत की यह धार्मिक नगरी विश्व प्रसिद्ध है जोकि गंगा तट पर उत्तर प्रदेश के दक्षिण पूर्वी छोर पर वरुणा और असी नदियों के महासंगम के बीच बसी हुई है। काशी नगरी की विरासत पूरे विश्व मैं मौजूद है। भारत सरकार की सक्रियता और जनता की मांग के चलते यहां की विरासत को वापस लाने की तैयारियां की जा रही है जिसे अंतिम रूप दिया जाना शेष है।

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अन्नपूर्णा देवी की पौराणिक प्रतिमा जो कि 100 साल पहले वाराणसी शहर में मौजूद थी, उसे कनाडा से वापस लाया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति करीब करीब एक सदी पहले चोरी हो चुकी थी। अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति यूनिवर्सिटी आफ रेजिना मैकेंजी आर्ट गैलरी में संग्रहित करके रखी हुई थी।

maa annapurna devi

भारतीय उच्चायोग को मूर्ति सौंप दी गयी

प्राप्त सूत्रों के अनुसार एक भारतीय मूर्तिकार ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज सप्ताह में देखा जो कि कुछ दिन पहले 5 से 25 नवंबर कनाडा में आयोजित किया गया था। जैसे ही इस भारतीय मूल के मूर्तिकार की नजर अन्नपूर्णा देवी पर पड़ी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया। उनकी उठाई गई आवाज के चलते कनाडा ने यह निश्चित किया है कि वह इस प्राचीन मूर्ति को भारत को लौटएगा। भारत सरकार द्वारा इस प्राचीन मूर्ति को भारत लाने की तैयारियां की जा रही है। कनाडा के अस्थायी राष्ट्रपति और रेजिना विश्वविद्यालय के उपकुलपति थॉमस चेस ने कनाडा स्थित भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया को मां अन्नपूर्णा की यह मूर्ति मैकेंजी आर्ट गैलरी से लेकर 19 नवंबर को एक समारोह आयोजित कर हस्तांतरित कर दी है।

कनाडा में आयोजित इस समारोह में मैकेंजी ग्लोबल सर्विसेज एजेंसी के अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था। मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को भारत लाने में विंनिपेग, एमबी, कनाडा में जन्मी भारतीय मूल की दिव्या मेहरा की विशेष भूमिका रही। उनके अथक प्रयासों से ही इस मूर्ति को भारत लाना संभव हो पाया है। भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा विंनिपेग, एमबी, कनाडा और नई दिल्ली भारत दोनों जगह पर रहती हैं। दिव्या मेहरा ने जब इस मूर्ति को देखा तो उन्होंने तत्काल इस मामले की सूचना कनाडा सरकार को दी और इस बात से अवगत कराया कि निश्चित रूप से इसे अवैध रूप से कनाडा लाया गया हुआ होगा।

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मैकेंजी लेकर गए थे कनाडा

Mackenzie Global Services Agency

मामले की जांच पड़ताल के बाद यह बात सामने आई कि 100 साल पहले मैकेंजी ने भारत का भ्रमण किया था। उसी समय वह वाराणसी भी गए थे और यहीं से यह मूर्ति कनाडा पहुंची है। मां अन्नपूर्णा की मूर्ति में एक हाथ में खीर और दूसरे हाथ में अन्न मौजूद है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह मूर्ति अन्नपूर्णा मंदिर काशी से चोरी कर मैकेंजी को दी गई थी। अब यह मूर्ति कनाडा भारत को पहुंचा रहा है तो हम सभी उम्मीद कर सकते हैं कि अन्नपूर्णा दरबार 100 साल बाद फिर से सजने लगेगा और यह काशी का फिर से एक अभिन्न हिस्सा बन जाएगा।

अन्‍नपूर्णा मंदिर के महंत ने जानकारी दी

Mahanta Rameshwar Puri of Annapurna Temple

अन्नपूर्णा मंदिर काशी के पंडित रामेश्वर पुरी से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि ऐसा माना जाता है यह मूर्ति कुछ 100 साल पहले वाराणसी से चोरी की गई थी या गायब करवाई गई थी। किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह कार्य किसने किया है और मूर्ति कहां गई है। अब जब इस मूर्ति के बारे में पता चल गया है तो हम कामना करते हैं कि जल्द ही यह मूर्ति फिर से काशी के प्राचीन मंदिर में पहुंचेगी और 100 साल पुरानी मां अन्नपूर्णा की मूर्ति का दरबार सजेगा।

अन्नपूर्णा मंदिर के पुजारी रामेश्वर पुरी ने बताया कि वाराणसी में कई अन्नपूर्णा देवी के उप मंदिर उपस्थित हैं। उन्हें लगता है कि इन्हीं में से किसी एक मंदिर से यह मूर्ति कनाडा भेजी गई होगी। यह किसी को नहीं पता है कि यह मूर्ति बेची गई थी या फिर इसे चोरी करके ले जाया गया था। अब जब मूर्ति के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो चुकी है तो हम सरकार से मांग करते हैं कि मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को जल्द से जल्द मंदिर प्रशासन को सौंप दिया जाए।


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