अंडर-19 T20 वर्ल्ड कप 2023 में भारतीय महिला टीम ने जीत का परचम लहरा कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम लिख दिया है। अंडर-19 T20 वर्ल्ड कप रविवार 29 जनवरी को सेनवेस पार्क में खेला गया था जिसमें भारतीय महिला टीम ने इंग्लैंड की टीम को 7 विकेट से हराया था। भारतीय महिला टीम की इस जीत में अर्चना देवी का भी एक विशेष योगदान रहा था। भारतीय महिला टीम की इस ऑफ स्पिनर ने 17 रन देकर दो विकेट हासिल किए थे और शानदार खेल दिखाया था।

अर्चना देवी सिर्फ 18 वर्ष की है लेकिन इनका सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है जिसके पीछे बहुत सारा साहस और बलिदान है। उन्नाव जिले के एक छोटे से गांव वालों की रहने वाली अर्चना देवी 4 साल की थी तब उनके सर से पिता का साया उठ गया था। उनके पिता को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी थी। 6 वर्ष पूर्व ही उनके भाई का साथ भी उनसे छूट गया था सर्पदंश के चलते वह अब इस दुनिया में नहीं है। इतनी चुनौतियों के बाद अर्चना देवी की मां के लिए उनके क्रिकेटर बनने के सपनों को पूरा करना बिल्कुल भी आसान नहीं था।
RELIVE Archana Devi's spectacular catch 😍🤯
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अर्चना देवी की महान है अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत की। अर्चना देवी ने भी अपनी मां की तरह खूब मेहनत की और अपने गुरु के आशीर्वाद से इसे पूरा भी किया। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि अर्चना देवी की मां सावित्री जिन्हें क्रिकेट का कभी नहीं पता लेकिन उन्हें आज अपनी बेटी पर गर्व है। अर्चना देवी के गांव जोकि उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के गांव गंगा कटरी के रतन पुरवा में भी उनकी जीत से खुशी का माहौल है। अर्चना की मां सावित्री बोल कहती है कि उन्हें अपनी बेटी को मैदान पर खेलते हुए देखकर बहुत खुशी होती है।

सावित्री को सबसे पहले यह खबर खुद अर्चना ने फोन कर बताई थी कि मां हम जीत गए हैं तब से उनकी मां का खुशी से ठिकाना नहीं है। भावुक मन से सावित्री कहती है कि काश आज अर्चना के पिता होते तो वह हमारी इस खुशी में शामिल होते हैं। भारतीय महिला टीम की जीत के बाद से ही पूरे गांव में लड्डू बांटे जा रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि बिटिया के आने के बाद इससे भी ज्यादा लड्डू बांटे जाएंगे।
CHAMPIONS 🫡🎉#TeamIndia pic.twitter.com/BXJEnrJu6w
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अर्चना देवी की इस उपलब्धि में सबसे प्रथम श्रेय कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की शिक्षिका पूनम गुप्ता का है जिन्होंने उनकी खेल प्रतिभा को पहचाना। पूनम गुप्ता ने अर्चना की आठवीं की पढ़ाई कर लेने के बाद वह उन्हें कानपुर स्थित कपिल पांडे के पास लेकर गई जो कि कुलदीप यादव को भी ट्रेनिंग दे चुके हैं। कपिल पांडे और पूनम ने अन्य लोगों के सहयोग के साथ अर्चना को कानपुर में ही एक किराए पर कमरा दिलवा दिया था और उनके खाने-पीने का भी इंतजाम कर दिया था।