32 साल बाद हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के साथ कश्मीर में मना जन्माष्टमी पर्व, श्रीकृष्ण जयघोष की गूंज

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सोमवार 30 अगस्त को पूरे देश में जन्माष्टमी की धूम मची रही। हालांकि कोरोना काल के चलते हमेशा की तरह कोई बड़े आयोजन तो नही हो सके लेकिन जम्मू कश्मीर में भी जन्माष्टमी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस बार की जन्माष्टमी की खास बात ये थी कि जहां कश्मीर कभी आतंकवाद का गढ़ कहलाता था आज उसी कश्मीर के हंदवाड़ा में जन्माष्टमी का त्योहार पूरे 32 सालो के बाद मनाया गया है।

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jammu kashmir janmashtami

इस त्योहार पर जहां काफी मात्रा में कश्मीरी पंडित अपने हाथो के लाल और भगवा झंडा लेकर घूमते दिखाई दिए तो वहीं इन कश्मीरी पंडितो ने हंदवाड़ा शहर से पैदल मार्च निकाल कर जन्माष्टमी का त्योहार मनाया। इन सबके बीच जन्माष्टमी पर हिंदू मुस्लिम भाईचारे की मिसाल भी देखने को मिली।इस पैदल यात्रा के अंदर हिंदू के साथ साथ मुस्लिम भाई भी शामिल हुए जिससे इस त्योहार की गरिमा और बढ़ गई।

सनातन धर्म सभा जो हंदवाड़ा शहर में स्थित है उसके सचिव अवतार कृष्ण पंडित के अनुसार हंदवाड़ा शहर में आखिरी बार जुलूस 1989 में निकला था जिसके बाद इतने लंबे समय बाद अब ये जुलूस फिर से 32 साल के बाद निकाला गया है और इसे फिर से निकालने में हमे कामयाबी मिली है। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए उन्होंने स्थानीय मुस्लिम समाज के लोगो का भी शुक्रिया अदा किया।पिछले कुछ सालो पहले कई स्थानीय कश्मीरी पंडितो के पुनर्वास कार्यक्रम के तहत उनका उत्तर कश्मीर में आना हुआ था।

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हंदवाड़ा के बाद श्री नगर में भी जन्माष्टमी का जुलूस निकाला गया था। ऐतिहासिक लाल चौक घंटाघर तक ये जुलूस पहुंचा था जो अधिकारियों की कड़ी व्यवस्था के बीच हब्बा कदल से निकाला गया था।सभी नागरिकों ने वहां के भक्तो ने रथ के साथ नाचते गाते हुए लोगो को मिठाई भी बांटी गई थी।कई श्रद्धालु वहां पर मौजूद थे और उनमें से एक वरिष्ठ नागरिक ने बताया की 2 साल बाद जाकर उन्हें श्रीनगर शहर में ये जुलूस जो जन्माष्टमी पर निकाला जाता उसकी अनुमति दी गई है।

कोरोना काल में किसी भी धार्मिक आयोजन की परमिशन नहीं दी जा रही थी। वहीं अगस्त 2019 में भी जम्मू कश्मीर के एक विशेष दर्जे का निरस्तीकरण लॉकडाउन को मद्देनजर रखते हुए रद्द कर दिया गया था।


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