Haunted Railway Station : भारतीय रेल को दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया में जितनी जनसंख्या है उतने लोग तो रोजाना भारतीय ट्रेन से यात्रा करते हैं। भारतीय ट्रेन से जुड़ी कई रहस्यमई और आश्चर्य जनक खबरें अक्सर सुनने को मिलती है। भारत के कुछ ऐसे रेलवे स्टेशन है जहां से ज्यूडिशरी जनक खबरें और परंपराएं हमें सुनने को मिलती है।
यह मध्य प्रदेश का Haunted Railway Station है
ऐसे ही खबर एक मध्य प्रदेश से सुनने को मिलती है। जी हां मध्य प्रदेश में स्थित टंट्या भील रेलवे स्टेशन के पास स्थित खंडवा इस रेलवे स्टेशन को पहले पातालपानी रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता था। इस रेलवे स्टेशन पर सभी ट्रेन रूकती है और अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले टांड्या भील के मंदिर को सलामी देने के बाद ही आगे बढ़ती है।
कहां जाता है कि अगर यहां पर रख कर कोई लोग को पायलट ट्रेन को सलामी नहीं देता है तो उसकी ट्रेन हादसे का शिकार हो सकती है।टांड्या भील को टांड्या मामा भी कहा जाता है। सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है। जब भी कोई ट्रेन यहां से गुजरती है तो कुछ समय के लिए यहां रोक दी जाती है।
जानिए कौन थे टांड्या भील
खंडवा जिले के पंधाना तहसील के बड़ौदा में सन 1942 के समय भावसिंह के यहां टांड्या का जन्म हुआ था और वह धनु विद्या में काफी दक्ष थे। साथी उन्होंने लाठी चलाने और गोपाल कला में भी महारत हासिल किया था। युवावस्था में अंग्रेजों की प्रार्थना से आकर वह साथियों के साथ जंगल में कूद गए और विद्रोह करने लगे। अंग्रेजों के द्वारा उन्हें रॉबिन हुड कहा जाता था।
1889 में अंग्रेजों ने टांड्या भील को पकड़ लिया था और कई लोगों ने अंग्रेजों से उन्हें पकड़वाने में मदद की थी। 4 दिसंबर 1989 को अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दे दिया उसके बाद उनके शव को पातालपानी के जंगलों में कालाकुंड रेलवे ट्रैक के पास दफना दिया गया। उनको दफनाए जाने के बाद हद से शुरू होगी।
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रेलवे स्टेशन के पास बनाया गया है मंदिर
वहां के लोगों का कहना है कि भले ही उनकी मौत हो गई है लेकिन उनकी आत्मा अभी भी जिंदा है और इन्हीं जंगलों में रहती है। ट्रेन का हादसा देखकर यहां मंदिर बनाया गया और सभी ट्रेन यहां रुक कर उनके मंदिर को सलामी देता है।