आपने अक्सर सुना होगा कि टैलेंट की कोई उम्र नहीं होती ऐसा ही कुछ कारनामा कर दिखाया है दिल्ली के 9वी क्लास के छात्र राजन ने बता दें कि 15 साल की उम्र में राजन ने जिस कारनामे को कर दिखाया है। इसे करने के लिए एक आम इंसान को सालों लग जाते हैं। लेकिन इस बड़े कारनामे को राजन ने केवल 3 दिनों में ही कर दिया है। दरअसल, 15 साल के बच्चे ने एक रॉयल इनफील्ड बुलेट को E-बुलेट में बदल दिया है। बड़ी बात तो यह है कि इस कारनामे को करने के लिए राजन ने लगातार तीन दिनों तक रात दिन मेहनत की और सफल भी रहे।
राजन द्वारा तैयार की गई E-बुलेट की खासियत की जाए तो इसे एक बार चार्ज करने पर यह तकरीबन 100 किलोमीटर तक चलती है। बता दें कि इस बुलेट को तैयार करने के लिए राजन को तकरीबन 45 हजार रुपए भी खर्च करना पड़े राजन दिल्ली के सुभाष नगर स्थित सर्वोदय विद्यालय में 9वी कक्षा के छात्र हैं। खबरों के अनुसार 15 साल के इस बच्चे को कबाड़ से नई नई चीजें बनाने का शौक काफी समय से है। बताया जाता है कि इस तरह के अविष्कार राजन पहले भी कर चुके हैं।
खबरों के अनुसार राजन ने लॉकडाउन के दौरान भी E-साइकल बनाई थी जिसमें वह सफल भी रहे लेकिन इसके ट्रायल के दौरान राजन को गंभीर चोट आ गई जिसकी वजह से उन्हें घरवालों की जमकर नाच सुनने को मिली इतना ही नहीं उनके पिता ने राजन को इस तरह काम करने से भी मना कर दिया यही कारण रहा कि उनका यह परीक्षण असफल रहा। लेकिन इसके बाद भी राजन कहां बैठने वाले थे। अपने पिता दशरथ शर्मा की डांट सुनने के बाद राजन ने अपने काम को जारी रखने के लिए नई तरकीब निकाली।
इंडिया टुडे की खबर के अनुसार जब राजन के इस तरह काम करने को लेकर घर वाले उनसे नाराज हो गए तो उन्होंने स्कूल में प्रोजेक्ट का बहाना लेकर दोबारा बुलेट पर अपना परीक्षण करना चालू कर दिया। हालांकि इसके लिए उन्हें पैसों की भी जरूरत थी और बहुत सारे सामान की, लेकिन पहले ही पिता उनके इस तरह से काम करने से नाराज थे। लेकिन आखिरकार उन्होंने अपने बेटे की ललक को देखते हुए हां कर दी और दोस्तों की मदद से सामान मुहैया कराए आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बुलेट को तैयार करने के लिए राजन को 3 महीने का समय लगा।
राजन को शुरुआत में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि बाजार में उन्हें जिस तरह से बुलेट चाहिए थी मिल नहीं रही थी हालांकि बाद में उन्होंने किसी तरह कबाड़ से 10 हजार रुपए में बुलेट खरीदी और उस पर अपना प्रोजेक्ट चालू किया। इस E-बुलेट के बारे में राजन ने बताया कि यह भी सभी गाड़ियों की तरह सामान्य है उन्होंने इसमे बैटरी का उपयोग किया है। गाड़ी को बनाने में केवल 3 दिनों का समय लगा लेकिन सामान इकट्ठा करने में उन्हें 3 महीने लग गए हालांकि उनके इस सफलता के बाद पिता दशरथ काफी ज्यादा खुश हैं।
शुरुआत में राजन के पिता दशरथ शर्मा को भी नहीं लग रहा था कि 15 साल का यह बच्चा इतना बड़ा कारनामा कर दिखाएगा। राजन ने जब काम करना चालू किया तो उनके पिता को बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि उनका बेटा यह काम कर पाएगा लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने अपने बेटे की जीत के आगे घुटने टेक दिए और उसका सहयोग करा नतीजा यह निकला कि आज 15 साल के राजन ने अपने पिता का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। छोटी सी उम्र में ही इतना बड़ा कारनामा दिखाने के बाद आज सब तरफ राजन की काफी चर्चा हो रही है।
E-बुलेट बनाने के बाद अब राजन का आगे सपना है कि वे आगे चलकर इसी तरह से E-कार भी बनाएंगे। इस बाइक की खासियत के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे आम रास्तों पर 50 किलोमीटर प्रति घंटे के हिसाब से चलाया जा सकता है। इतना ही नहीं हाईवे जैसे सपाट रास्ते पर इस E-बुलेट को 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया जा सकता है। राजन का मानना है कि पुरानी गाड़ियों को आसानी E गाड़ी के रूप में बदला जा सकता है। वहीं भविष्य में E-कार बनाने का सपना देख रहे राजन ने इसका मॉडल अभी से तैयार कर लिया है।