रोचक तथ्य: विजयादशमी के दिन ही 5 स्वयंसेवकों को लेकर रखी गई थी आरएसएस की नींव

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विजयादशमी यानी दशहरे के दिन ही राष्ट्रीय स्वयं संघ की नींव रखी गई थी। दिन था 27 दिसंबर 1925, जब दशहरे के मौके पर मुंबई के रोहित के बाड़े नामक जगह पर डॉ केशव राव हेडगेवार ने आर एस एस की नींव रखी थी। यह आरएसएस की पहली शाखा थी, जो संघ के 5 स्वयंसेवकों के साथ शुरू हुई थी। आज पूरे देश में 50,000 से अधिक शाखाएं है।

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आरएसएस के विजयादशमी उत्सव का आयोजन मंगलवार को नागपुर में सुबह 7:40 पर हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एचसीएल अध्यक्ष शिव नादर थे। कार्यक्रम में संघ चालक मोहन भागवत का संबोधन हुआ, पिछली बार प्रणव मुखर्जी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। संघ के इस कार्यक्रम में देश के जाने-माने चेहरों को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था। इस बार प्रमुख अतिथि के रूप में एचसीएल कंपनी के संस्थापक व अध्यक्ष शिव नादर शामिल होंगे और हर वर्ष की भांति इस बार भी 6:15 बजे संघ के स्वयंसेवकों का पथ संचलन रेशम बाग मैदान से होकर शहर के विभिन्न रास्तों से गुजरते हुए वापस रेशम बाग मैदान पंहुचा।

शस्त्र पूजन के बाद सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत का उद्बोधन सभी का केंद्र बिंदु रहा। संघ संचालन में व्यवसायी तरुण व महाविद्यालयीन घोष वादन संघ गीत आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए। इससे पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणव मुखर्जी ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की थी। उनके इस कदम से कांग्रेस पार्टी की ओर से आलोचना भी की गई थी।

कौन है शिव नादर

शिव नादर एक भारतीय उद्योगपति होने के साथ जन हितेषी कार्यों से जुड़े रहते हैं। वे एचसीएल के चेयरमैन के साथ शिव नादर फाउंडेशन के अध्यक्ष भी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राजनीति से सीधा कोई संबंध नहीं है, लेकिन भारत में यह स्वयंसेवी संस्था ना केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक परिवेश में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। देश की सत्ता बिगाड़ने और बनाने की ताकत आरएसस रखता है। यही वजह है कि बीजेपी के दिग्गज नेता और मोदी सरकार के मंत्री भी संघ के आगे नतमस्तक नजर आते है।

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ऐसे नाम पड़ा आरएसएस का

राष्ट्रीय स्वयं संघ यह नाम अस्तित्व में आने से पहले मंथन हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जरीपटका मंडल और भारत उद्धारक मंडल। इन तीन नामों पर विचार हुआ, बाकायदा वोटिंग हुई नाम विचार के लिए बैठक में मौजूद 26 सदस्यों में से 20 सदस्यों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अपना मत दिया। जिसके बाद आरएसएस अस्तित्व में आया।
“नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे” प्रार्थना के साथ पिछले कई दशकों से लगातार देश के कोने कोने में संघ की शाखाएं लग रही है। हेडगेवार ने व्यायामशाला व अखाड़ों के माध्यम से संघ कार्य को आगे बढ़ाया, स्वस्थ और सुगठित स्वयंसेवक होना उनकी कल्पना में था। संघ ने लंबे सफर में कई उपलब्धियां अर्जित की जबकि तीन बार उस पर प्रतिबंध भी लगा।

आज संघ का दायरा

आर एस एस का दावा है कि उसके एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित सदस्य है। संघ परिवार में 80 से ज्यादा सम विचारी या आनुषागिक संगठन है। दुनिया के 40 देशों में संग सक्रिय है। मौजूदा समय में संघ की 56569 दैनिक शाखाएं लगती है। करीब 13847 साप्ताहिक मंडली और 9000 मासिक शाखाएं भी है। देश में शाखाओं में उपस्थिति के अनुसार फिलहाल पचास लाख से ज्यादा स्वयंसेवक नियमित रूप से शाखाओं में आते हैं। देश की हर तहसील और जिले में करीब 55000 गांव में शाखा लग रही है, 25 स्वयंसेवकों से शुरू हुआ संघ आज विशाल संगठन के रूप में स्थापित है।

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